Independence Day 2022 : भारत को अंग्रेजों के दामन से आजाद हुए 75 साल हो गए है। देश की आजादी के लिए हजारों लोगों ने अपनी जान की कुर्बानियां दी। हरिद्वार के कटारपुर गांव में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करने वाले शहीद मुक्खा सिंह और उनके साथियों की शौर्य गाथाएं आज भी गांव वालों की जुबान पर रहती है।
Independence Day 2022 : गायों को कराया आजाद
हरिद्वार शहर से कुछ ही दूरी पर बसे गांव कटारपुर को शहीदों के गांव कटारपुर के नाम से भी जाना जाता है। साल 1918 में ब्रिटिश हुकूमत के एक अधिकारी ने दूसरे समुदाय के त्यौहार पर गायों के कत्लेआम का फरमान दे दिया था। अंग्रेजों का ये फरमान ग्रामीणों को नागवार गुजरा। जब गौहत्या की जा रही थी तब आजादी की दीवाने रहे मुक्खा सिंह चौहान के नेतृत्व में ग्रामीणों ने अंग्रेजी सिपाहियों पर हमला बोल दिया गायों को आजाद कराया।
शौर्य गाथाएं आज भी गांव वालों की जुबान
Independence Day 2022 : ग्रामीणों के इस कदम से अंग्रेजों की नींद उड़ गई। जिसके बाद 133 ग्रामीणों को गिरफ्तार कर काला पानी की सजा सुनाई गई और साल 1920 में मुक्खा सिंह चौहान समेत बागियों को फांसी पर लटका दिया गया। 1947 में देश की आजादी के बाद ग्रामीणों ने शहीदों की याद में स्मारक बनाया और आज भी यहां हर साल शहीदों की याद में मेला लगता है। हालांकि शहीदों के परिवार और ग्रामीणों ने इन गुमनाम नायकों को जरूरी सम्मान और दर्जा दिलाने की काफी कोशिश की पर अभी तक सरकारों ने शहीदों को उनके हक का सम्मान नहीं दिया है।
बता दें कि साल 1918 में अंग्रेजों के फरमान के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने वाले मुक्खा सिंह की बहादुरी के किस्से आज भी गांव भर में आम है। हालांकि उनके परिवार इस बात से निराश हैं कि सरकार की घोषणाओं के बाद भी शहीदों को जरूरी सम्मान नहीं मिल सका है।
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