Historical Maun Fair Of Jaunpur : मसूरी से सटे जौनपुर क्षेत्र में अगलाड नदी पर मछलियां पकड़ने का ऐतिहासिक मोहन मेले का आयोजन किया जाता रहा है। जिसमें टिमरू नामक लकड़ी को पीसकर उसका पाउडर बनाया जाता है
जिसे नदी में डाला जाता है जिससे मछलियां कुछ देर के लिए मूर्छित हो जाती है और उसके बाद ग्रामीण मछलियों को पकड़ते हैं। जौनपुर में मनाया जाने वाला मौण मेला धूमधाम के साथ मनाया गया। इस मौके पर ग्रामीणों ने अगलाड़ नदी में टिमरू से बने पाउडर को नदी में डालकर मछलियां पकड़ी जहां पर हजारों की संख्या में पहुंचे ग्रामीणों ने मौण मेले में शिरकत की।
Historical Maun Fair Of Jaunpur :
टिहरी से हुई थी शुरूआत :
जौनपुर का ऐतिहासिक मौण मेला दशकों से आयोजित किया जाता रहा है। बताया जाता है कि टिहरी नरेश नरेंद्र शाह ने सन 1876 में इसकी शुरूआत की थी। टिहरी नरेश ने अगलाड़ नदी में आकर मौण टिमरू का पाउडर डाला था उसके बाद निरंतर यहां मेला आयोजित किया जाता रहा और इसमें राज परिवार के लोग भी शामिल होते थे। इसी परंपरा को जीवित रखते हुए आज भी जौनपुर के लोगों द्वारा इस मेले का आयोजन किया जाता है
Historical Maun Fair Of Jaunpur :
और टिमरू से बने पाउडर से मछलियों को पकड़ा जाता है सबसे अधिक मछलियां पकड़ने वाले को पुरस्कार दिया जाता है। टिमरू के पाउडर से जहां नदी साफ हो जाती है मछलियां भी कुछ देर के लिए मूर्छित होकर फिर से जीवित हो उठती है जाल और कुनियाला से मछलियों को पकड़ा जाता है। ग्रामीण भोपाल सिंह का कहना है कि ये मेला दशकों से आयोजित किया जाता रहा है।
Historical Maun Fair Of Jaunpur : उन्होंने कहा कि इससे जहां आपसी भाईचारा बढ़ता है। वहीं इस मेले में हिमाचल देहरादून आदि क्षेत्रों से भी लोग यहां मेले में शिरकत करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 2 वर्षों से कोरोना काल के दौरान इस मेले का आयोजन नहीं किया गया था लेकिन आज बड़ी संख्या में यहां पर ग्रामीण एकत्रित हुए हैं और मौण मेले का आनंद ले रहे हैं।
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